कलकत्ता से आये दिल्ली , दिल्ली से पहुंचे बम्बई बीच में आया सैफई पर जाना पड़ा तिहाड़.हे भगवान टूटा ये कौन सा पहाड़ ! उन्हें संकट मोचक कहा जाता था,कोई भी समस्या हो चुटकी बजाते हल निकालने का दावा और शायद ही कोई ऐसी जगह नहीं जहाँ पहुँच नहीं का गुरूर.पर ये तो कभी सोचा न था की अफजल गुरु का पडोसी बनना पड़ेगा.कहते हैं की ऐसे लक्षण दुर्दिन का चरम है .
उन्हें स्टिंग का किंग भी कहा जाता रहा है,हर मौके पर उनके पास सी डी तैयार रहती थी.गोया कोई चलता फिरता प्रोडक्सन हाउस हो. बिपाशा से बातचीत में उन्होंने अपनी कमजोरी का जिक्र किया तो था पर समय इतना कमजोर हो जायेगा ये अंदेशा तो आज़म खान को भी नहीं रहा होगा.हे भगवान कहीं बड़े भईया के साथ मंदिर मंदिर घूमना बंद हो गया सजा उसी की मिल रही है क्या. दोस्ताना सलामत रहता तो,बिग बहु की संतान के वास्ते ही सही, पर टीवी कैमरों को लेकर न जाने कितने मंदिर घूम आयेहोते. लेकिन फंस गए एक टीवी चैनल के जाल में.इसमें भी दुविधा ही है की कहीं वो सीडी भी इन्होने ही तो नहीं बनवाई थी ताकि भविष्य में इनहाउस वितरण में काम आये.पर ये फंसे किस बात के लिए हैं ये समझ में नहीं आरहा है. सूत्रों , की माने तो सैफई में स्टेज शो और भंडारा का आयोजन किया जाना था और नेताजी ने इस बार नयी वैरायटी लाने को कहा था, इसी चक्कर में ये अलग अलग तरह के आईटम की तलाश में बयाने की रकम को कुछ कलाकारों तक पहुँचाने में लगे थे. लेकिन अर्गल ने कहा है की ये वाली बात अनर्गल है.तो भईया सही बात क्या है? सही बात तो ए रजा ने भी की और कानी ने भी,इन दोनों ने कहा की हम जिस मामले में जेल आये वो तो वजीरेआला पर भी बनता है.पर क्या कलाकार भी बोलेंगे की ये किस समाज की सेवा में मेवा खाने आगये.पर अगर सच भी बोलेंगे तो कोई मानेगा नहीं क्योंकि कानून कहता है की केवल चिंदी चोर का बयान ही प्रमाणिक होता है, जो हज़ार - दो हज़ार की चोरी के केस में भीतर जाता है.बड़े लोगों के हवालात में आने पर उनके उनके हवाले से आने वाली हर बात झूठी होती है क्योंकि उनकी बिरादरी में सच का चलन ही नहीं है.अदालतें लाख कोशिश करती रहें सुधारने की पर इन बड़े लोगों में सुधरने का जीन ही नहीं होता....पर इनको तो जमानत जल्दी मिल जानी चाहिए, . भ्रष्टाचार मिटाने के लिए चिंतित संसद द्वारा लोकपाल बिल बनाने के लिए गठित स्टैंडिंग कमिटी के माननीय सदस्य हैं.अधिक दिन तक अन्दर रहने से भ्रष्टाचार के खिलाफ संसद की मुहीम को झटका लगेगा.और ऐसे झटके गणिकातंत्र के लिए उचित नहीं हैं
.......और अभी अभी खबर आरही है की अदालत के बाहर बम फटा है.
धारदार व्यंग्य ...... अभी तक दिल्ली बमधमाके में दस लोगों की मौत हो चुकी है
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